Wednesday, March 19, 2025
कोरबा न्यूज़छत्तीसगढ़ न्यूज़

कोरबा की शिक्षिका को इतना गुस्सा आया कि अपने ही कक्षा 5वीं के छात्र को मुक्के और डंडे से बेरहमी से पीटा, छात्र अस्वस्थ्य है, पिता ने लगाई न्याय की गुहार…

आकाशवाणी.इन

कोरबा जिले के एक स्कूल में शिक्षिका को अपने छात्र पर इतना गुस्सा आया कि मासूम छात्र को मुक्के और डंडे से मार मार मार के चोटिल कर दिया, बेरहमी में पड़े डंडे की प्रहार से मासूम छात्र के पैरों में चोंट के निशान आ गए, इतना ही नहीं छात्र के पिता ने शिकायत पत्र में बताया है कि उनके बच्चे को अन्य विद्यार्थियों के सामने जलील करने के उद्देश्य से बेंच खड़े करने के साथ लगातार प्रताड़ित किया जाता था है.

ये हैं पीड़ित छात्र के पिता की शिकायत पत्र

मेरे पुत्र देव श्रीवास कक्षा 5वीं नियमित छात्र को शिक्षिका नाज परवीन सिददीकी के द्वारा बिना कारण के अत्यधिक गुस्सा करते हुए डण्डा, थप्पड़ व मुक्का से शरीर में निशान पडते तक बेरहमी से मारे जाने व गाली करने साथ ही अलग अलग दो तीन कक्षाओ में दूसरे कक्षा के विधार्थीयो के बीच में टेबल पर खड़ा रखकर बेईज्जत करने, इस प्रकार से मेरे पुत्र का मानसिक संतुलन बिगाड़ने के संबध में शिकायत एवं उक्त दोषी शिक्षिका के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करने बाबत.

विषयांतर्गत लेख है कि मैं रामचंद श्रीवास पुरानी बस्ती कोरबा का निवासी हूँ। मेरा पुत्र देव श्रीवास श्री अग्रसेन पब्लिक स्कुल दरी रोड कोरबा में कक्षा 5वीं का नियमित छात्र है, पढाई मे अच्छा है, जो कि दिनांक 08.02.2024 को प्रतिदिन की भांती स्कुल जाकर अपने कक्षा में पठन-पाठन कर रहा था, उक्त समय इंग्लिश पिरियड के दौरान उक्त स्कुल की शिक्षिका नाज परविन सिद्दीकी कक्षा लेने के दौरान मेरे पुत्र देव श्रीवास से कॉपी की मांग की गई, कॉपी नही मिलने की बात पर अत्यधिक नाराज होकर मेरे पुत्र के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग कर बिना कुछ सोचे समझे ही लकडी के डण्डे से लगातार 20-25 डण्डे मारी, जबकि स्कुल ड्रेस में हॉफ पैंट पहनना होता है, फिर भी पैरो पर लगातार डण्डा मारने से दोनो पैर जख्मी हो गये और पैरो पर निशान पड गया, पीठ और कंधे पर भी मारी है, जिस दौरान मेरा पुत्र लगातार रो रहा था, फिर भी उस निर्दयी शिक्षिका को दया नही आया और लगातार अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मारपीट करती रही। इसके बाद भी शिक्षिका का गुस्सा शांत नही हुआ और मेरे पुत्र को टी.सी. निकालने की धमकी देते हुए खिंचकर दूसरे कक्षा में अन्य विधार्थीयो के बीच बैंच पर लगभग पूरे पिरियड के दौरान मेरे पुत्र को खड़ा रखा गया। ऐसा दो कक्षाओ में किया गया, शिक्षिका के इस प्रकार के कृत्य से यह जान पडता है कि शिक्षिका अपने शिक्षक क्के कर्तव्यो को भूलकर अपने घर के गुस्सा को शांत करने के लिए स्कुल आती है.

उक्त कृत्य स्थिति में मेरा पुत्र अत्यंत डरा व सहमा हुआ भय का जीवन व्यतीत कर रहा है, कुछ बोल नही पा रहा है और न ही हंस खेल पा रहा है, स्कुल के नाम पर डर जा रहा और अब मैं स्कुल नही जाउंगा बोलकर लगातार रो रहा है.

ऐसा प्रतीत होता है कि, मेरे पुत्र का मानसिक स्थिति अत्यधिक बिगड़ चुका है व उसका शिक्षण जीवन समाप्त हो रहा है। यदि मेरे पुत्र के साथ कोई भी अप्रिय घटना घटित होती है या वह शारीरिक व मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी उक्त शिक्षिका एवं स्कुल प्रबंधन की होगी.